महाराज श्री ने 11 वर्ष की आयु में उज्जैन के महाकुंभ मे सन्यास लिया उसके पश्चात कर्मकांड,भागवत,ज्योतिष आदि शिक्षाएं ग्रहण की उसके उपरांत महाराज श्री ने 7 वर्षों तक गोवर्धन की तलहेटी में मौन तपस्या की तथा 2 वर्ष गिरनार पर्वत के जंगलों मे अज्ञातवास साधना की आपने गांव-गांव शहर-शहर जाकर भागवत,प्रवचन,धर्मअनुष्ठानों के माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया और लोगों को सनातन धर्म के प्रति अग्रसर किया महाराज श्री के द्वारा कई आश्रमों की स्थापना की गई आप सभी भक्तों के सहयोग से निरंतर साधु संत सेवा,अन्नक्षेत्र सेवा,गौ सेवा,वानर सेवा,स्वान(कुत्ता)सेवा, आदि जीव जंतुओं की सेवाएं की जाती है महाराज श्री द्वारा विशाल भंडारों का आयोजन रहता है एवं कुंभ मेले में महाराज जी का शिविर लगाया जाता है जहां दूर-दूर से अनेकों श्रद्धालु आकर स्नान कर पुण्य का लाभ प्राप्त करते हैं|